उद्देश्य स्पष्ट करें
किसी भी बहस अथवा चर्चा का प्राथमिक उद्देश्य सूचना एंव दृष्टिकोण का आदान-प्रदान करना होना चाहिए, न कि केवल दूसरे पक्ष को समझाने का प्रयास। विचारों का वास्तविक आदान-प्रदान ज्ञान सृजन को बढ़ावा देता है, जबकि अनुनय का परिणाम अक्सर अप्रभावी संवाद एंव उलझी हुई स्थिति में होता है।
खुले विचारों वाला दृष्टिकोण अपनाएँ
दूसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण को व्यापक रूप से समझने के लिए जानबूझकर एंव ईमानदारी से बहस एंव चर्चा में शामिल हों। सशक्त पूर्वाग्रह सूचना के आदान-प्रदान को बाधित करता है, जबकि महत्वहीन पूर्वाग्रह भी कुशल संवाद को बाधित कर सकता है। तटस्थ रहना स्वीकार्य है लेकिन इससे चर्चा की अवधि लंबी हो सकती है। तटस्थता से समझौता किए बिना एक सामान्य, रचनात्मक सकारात्मक पूर्वाग्रह, तीव्र एंव गहन सूचना आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान कर सकता है।
प्राप्त परिणामों पर ध्यान केंद्रित करें
सफल वाद विवादों एंव विचार-विमर्शों के परिणामस्वरूप दूसरों के दृष्टिकोणों की बेहतर समझ विकसित होनी चाहिए, साथ ही व्यक्तिगत बहसों के आधार पर आपके स्वयं के दृष्टिकोण में उल्लेखनीय रूप से, मामूली रूप से अथवा बिल्कुल भी विकसित न होने की संभावना नहीं होनी चाहिए। विचारों के आदान-प्रदान की सफलता का मूल्यांकन आदान-प्रदान की गई जानकारी की सीमा एंव प्राप्त ज्ञान के आधार पर किया जाना चाहिए।
इन सिद्धांतों के ध्यानार्थ बहस एंव चर्चा करने से न केवल आपके बौद्धिक वार्तालाप की गुणवत्ता विकसित होती है बल्कि विचारों के अधिक उत्पादक एंव समृद्ध आदान प्रदान को भी बढ़ावा मिलता है।