अपनी प्राथमिकता निर्धारित करें
फ़ॉन्ट स्केलिंग
अप्राप्ति
पृष्ठ अनुमापन
अप्राप्ति
रंग समायोजन
भा.प्रौ.सं.कानपुर
  • घर
  • संग्रहित प्रेस विज्ञप्तियां
  • प्रेरक व्याख्यानों की श्रृंखला में ईपीएल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ श्री सुधांशु वत्स (पूर्व में एस्सेल प्रोपैक लिमिटेड के रूप में जाना जाता था) ने आई आई टी कानपुर के प्रथम वर्ष के छात्रों को संबोधित किया।

प्रेरक व्याख्यानों की श्रृंखला में ईपीएल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ श्री सुधांशु वत्स (पूर्व में एस्सेल प्रोपैक लिमिटेड के रूप में जाना जाता था) ने आई आई टी कानपुर के प्रथम वर्ष के छात्रों को संबोधित किया।

IITK

प्रेरक व्याख्यानों की श्रृंखला में ईपीएल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ श्री सुधांशु वत्स (पूर्व में एस्सेल प्रोपैक लिमिटेड के रूप में जाना जाता था) ने आई आई टी कानपुर के प्रथम वर्ष के छात्रों को संबोधित किया।

कानपुर

आईआईटी कानपुर में एनसीसी, ऑफिसर-इन-चार्ज, कर्नल अशोक मोर अतिथि वक्ता का स्वागत करते हुए ईपीएल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ श्री सुधांशु वत्स के बारे में छोटे से परिचय दिया। कर्नल अशोक मोर ने बताया कि श्री.सुधांशु वत्स एमएनएसएस राय के पूर्व छात्र हैं। श्री सुधांशु वत्स ने एनआईटी कुरुक्षेत्र से बी.टेक (मैकेनिकल) और आईआईएम अहमदाबाद से पीजीडीएम किया है।

आईआईटी कानपुर के छात्रों को अपने संबोधन में श्री सुधांशु वत्स ने कहा कि "आईआईटी कानपुर एक आकर्षक संस्थान है और सर्वश्रेष्ठ आईआईटी में से एक है। मुझे आई आई टी में आने का मौका नहीं मिला और मैंने NIT कुरुक्षेत्र से इंजीनियरिंग की। मेरा जन्म कोटा शहर, राजस्थान में हुआ था जो कि उस वक़्त एक छोटा क़स्बा हुआ करता था ।

Image removed.

उन्होंने छात्रों ओ संबोधित करते हुए कहा कि मैं आपसे जीवन और व्यवसाय में मूल्यों के बारे में बात करूंगा। सबसे पहले मैं आपसे बात करूंगा विश्वास और आस्था के बारे में। जब मैं 10 साल का था, मेरे पैर में एक समस्या विकसित हो गयी, तो हर कोई सोचने लगा कि यह पोलियो है, और मेरे माता-पिता, नाना और नानी ने डॉक्टरों से राय और सलाह लेनी शुरू कर दी और हर रोज मेरे पैर में एक जटिलता विकसित होने लगी। कुछ डॉक्टरों ने कहा कि वह चलने-फिरने में सक्षम नहीं होंगे। मेरी अम्मा (मेरी नानी) ने कहा कि बेटा "जिस तरह से यह आया है उसे लेकर चिंता न करें" वह वैसे ही दूर चला जाएगा। अचानक से उसी तरह से बहुत दर्द शुरू हो गया और दो या तीन हफ्तों में वो समस्या ठीक हो गयी । मेरी नानी जिन्होंने मुझे जीवन में बहुत कुछ सिखाया, उन्होंने मुझे आस्था और विश्वास करना भी सिखाया।

अब बात करते हैं भरोसे और विश्वास की । आप दूसरों पर और खुद पर भरोसा रखें । एकबार की बात है, मैं अपने कॉलेज से अपने घर जा रहा था, अचानक बस रास्ते में खराब हो गई और मैं सिर्फ अगले बस स्टॉप तक पहुँच सका। जैसा कि मैं रात 10.30 बजे रोहतक में बस स्टॉप पर बैठा था, एक युवक मेरे पास आया और कहा कि मैं इस वक़्त वहाँ पर अकेला क्या कर रहा हूँ, मैंने कहा कि मुझे झज्जर जाना है और कोई बस नहीं है इसलिए मैं बस स्टॉप पर रुकूंगा और अगली सुबह की बस का इंतजार करूँगा । उसने मुझे अपने घर आने को कहा। हमने एक साथ उसके घर तक साइकिल चलाई और हम देर रात उसके घर पहुँचे। उनकी पत्नी ने हम दोनों के लिए रात का खाना तैयार किया और मैं आराम से सो गया । मैं सुबह उठा और उन्हें धन्यवाद दिया और अपने घर की ओर चल दिया । उस समय उस आदमी की मुझ पर और मेरी उन पर विश्वास और उदारता उच्च स्तर पर थी। मैं चाहता हूं कि आप खुद पर, लोगों पर , रिश्तेदारों, और अपने संगठन पर भरोसा रखें, जिसमें आप शामिल हों।

इस जीवन में जीतने के लिए आपको योग्यता और एटीट्यूड का मिश्रण चाहिए। आप सभी के पास पर्याप्त योग्यता है इसलिए आप आई आई टी में हैं। समावेशित होने की आपकी क्षमता, बुद्धि के साथ आपके मनोभाव और मूल्य आपको वास्तविक जीवन में विजेता बनाएगी। योग्यता और मनोभाव एक साइकिल के दो पहिए हैं और आपको जीवन और व्यवसाय में सफल होने के लिए दोनों की आवश्यकता है। जीवन में ऐसे कदम उठाएं जो राइट हैं और आपको अपने दिल से महसूस करना चाहिए कि निर्णय सही है। अच्छी कंपनियां लोगों के माध्यम से ही अपनी पहुंच बनाती हैं और लोगों को साथ लेकर चलने की आपकी क्षमता ही आपको नेता बनाती है।

प्रमुख संदेश विश्वास, आस्था, कैरिंग और उदारता हैं। उदारता को हमेशा याद रखें, उदारता आपसे ज्यादा नहीं लेती है। आप एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराकर उदार हो सकते हैं। आप किसी को बधाई दे करके, मदद करके, दान करके या किसी का धन्यवाद करके उदार हो सकते हैं। उदारता हमें खुशी देती है ।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ब्रांड्स लोगों से आते हैं कहीं और से नहीं । उन्होंने कहा कि परिवार द्वारा चलने वाले संगठन और पूरी तरह से पेशेवरों द्वारा चलाए जाने के अपने स्वयं के प्लस और माइनस हैं, लेकिन सभी को अच्छे लोगों की आवश्यकता होती है और वे केवल एक टीम के रूप में जीत सकते हैं। एक साथ सभी को अधिक प्राप्त होता है, एक उंगली की तुलना में हमारी मुट्ठी हमेशा अधिक शक्तिशाली होती है।

दौड़ना जीवन जीने का एक तरीका है और मैं दुनिया भर में मैराथन दौड़ता हूं। जीवन एक मैराथन है न कि एक कम दूरी की तेज दौड़(स्प्रिंट)। जैसे आप दोड़ते हैं तो, आप सहनशक्ति विकसित करते हैं, दौड़ना एक जीवन का पाठ है, सबक है। मैराथन, जीवन की तरह लंबे समय तक चलने की शक्ति है। आप आईआईटी में आ गए हैं, लेकिन आगे बढ़ने के लिए एक लंबी यात्रा है और हालांकि आप दूसरों के साथ चल रहे हैं, लेकिन वास्तव में आप अपनी खुद की दौड़ लगा रहे हैं, आप कैसे दौड़ रहे हैं, इसके बारे में बेहतर हो रहे हैं, अपनी खुद की टाइमिंग में सुधार कर रहे हैं। जीवन के समान सादृश्य, क्या मैं बहुत तेज चल रहा हूं, क्या मैं खुद को अधिक तपा रहा हूँ । सोसायटी अपने नजरिये से ही देखती है, कोई आपको 25 किमी से 30 किमी तक देखेगा और वे उसके अनुसार अपना अनुमान लगा लेंगे या एक दृश्य बनाएंगे लेकिन आपको पूरी मैराथन पूरी करनी होगी।

यह पूछे जाने पर कि वह 20 साल से जिस कंपनी में वो काम कर रहे थे, उसे क्यों बदल दिया। श्री सुधांशु वत्स ने कहा कि, एचयूएल में सीईओ के पद पर पहुंचने के लिए, कंपनी चाहती कि वह विदेश में 5 वर्ष का समय तक कार्यभार संभाले । उन्होंने कहा, वह भारत में रहना चाहते थे और यह एक ऐसा समय था जब वह अपने तरीके से और उसी भावना से अपना सफ़र तय करना चाहते थे । उन्होंने वायाकॉम- 18 को ज्वाइन कर लिया और 6 से 54 चैनलों तक इसका विस्तार किया और जिसे 20 देशों ने अपनाया। जब वह कंपनी में शामिल हुए तो यह 1200 करोड़ की कंपनी थी और 200cr के घाटे पर चल रही थी। जब उन्होंने 2020 में उस कंपनी को छोड़ा तो यह 4000 करोड़ की कंपनी थी और लाभ में 600 करोड़ रुपये तक पहुँच चुकी थी।

मैंने एचयूएल को छोड़ने के जो साथ सीखा,उसे मैंने यहां लागू किया। संगठनों के बुनियादी ढांचे, भवन प्रबंधन प्रणाली और संस्कृति आम हैं। यह एक व्यवसाय मॉडल है जो अलग है और आपको इसे चलाने की आवश्यकता है। इसलिए एक लीडर के रूप में आपको किसी और चीज से ज्यादा लीडरशिप स्किल की जरूरत होती है।

जीवन एक ऐसी कहानी है, जिसे आपको किसी भी विज्ञापन या फिल्म की तरह खुद को बताना होगा, इसलिए इसे अच्छी तरह से और जैसा आप चाहते हैं, वैसा ही बनाएं। इसके साथ उन्होंने छात्रों को उज्जवल भविष्य की कामना की और उन्हें महामारी के समय सुरक्षित रहने के लिए कहा।