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भा.प्रौ.सं.कानपुर

अनुदान विकल्प

भा.प्रौ.सं. कानपुर में स्थापित कंपनियों को फंडिंग स्रोतों की विस्तृत श्रृंखला लाभान्वित करने के साथ ही उनके विकास एवं नवाचार को प्रोत्साहित करती है। ये वित्तीय स्रोत स्टार्टअप एवं उद्यमशील उद्यमों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे वे अपने विचारों को लाभदायक व्यवसायों में बदल सकते हैं। उपलब्ध विकल्पों में से ऋण एवं अनुदान दो महत्वपूर्ण श्रेणियां हैं। जिनका विवरण निम्नवत है।

सीड फंड

सीड फंड

एसआईआईसी इस उद्देश्य के लिए निधि/अनुदान/योजनाओं की उपलब्धता के अधीन सीड ऋण प्रदान कर सकता है। सीड ऋण सीमा 15 से 25 लाख रुपये तक होती है। यह केवल पंजीकृत कंपनियों को ही उनकी योग्यता के आधार पर दिया जाता है। सीड ऋण प्राप्त करने की इच्छुक कंपनी एसआईआईसी में इन्क्यूबेशन के तीन महीने के बाद सीड निधि के लिए आवेदन कर सकती है। सीड ऋण एसआईआईसी द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंड के आधार पर दिया जाता है। यह एसआईआईसी के सीड फंडिंग दिशानिर्देशों के अनुसार निर्धारित शर्तों के अधीन भी होता है।

प्रिज्म

प्रिज्म

प्रिज्म (प्रोमोटिंग इनोवेशंस इन इंडिविजुअल, स्टार्ट अप एंड एमएसएमई ) डीएसआईआर (विज्ञान और औद्योगिक अनुसंधान विभाग) द्वारा वित्तीय अनुदान के अतिरिक्त व्यक्तिगत नवप्रवर्तकों को सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई योजना है। इस योजना के तहत, एसआईआईसी, भा.प्रौ.सं. कानपुर जैसे केंद्र प्रसंस्करण एवं मॉनिटरिंग एजेंसी की भूमिका निभाते हुए नवप्रवर्तकों को प्रत्यक्ष तौर पर वित्त उपलब्ध कराया जाता है। प्रिज्म, विभिन्न श्रेणियों के तहत प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए अधिकतम रु.50 लाख की अनुदान राशि प्रदान करता है। प्रस्ताव पर निम्नलिखित केंद्रित क्षेत्रों के तहत विचार किया जाएगा:

  • हरित प्रौद्योगिकी
  • स्वच्छ ऊर्जा
  • औद्योगिक रूप से उपयोगी स्मार्ट सामग्री
  • अपशिष्ट से उपयोगी
  • किफायती स्वास्थ्य सेवा
  • जल एवं मल प्रबंधन
  • अन्य प्रौद्योगिकी अथवा ज्ञान गहन क्षेत्र
एमएसएमई

एमएसएमई

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय इनक्यूबेटरों के माध्यम से एसएमई के उद्यमशीलता एवं प्रबंधकीय विकास के लिए सहायता प्रदान करता है। इस योजना के तहत, यह नवीन व्यावसायिक विचारों (नई स्वदेशी तकनीक, प्रक्रियाओं, उत्पादों, प्रक्रिया आदि) के पोषण के लिए प्रारंभिक चरण की फंडिंग प्रदान करती है, जिसका एक वर्ष में व्यावसायीकरण किया जा सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य ज्ञान-आधारित नवीन उद्यमों के विकास को बढ़ावा देना तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की प्रतिस्पर्धात्मकता एवं अस्तित्व की प्रवृत्ति में सुधार करना है।